December 4, 2024

वर्ष १९८३ में हुए विश्व कप क्रिकेट के एक ऐतिहासिक मैच का एक अविश्वसनीय किस्सा है, हुआ यह था कि सेमीफाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच में भारत और इंग्लैंड आमने-सामने थी। २२ जून, १९८३ को मैनचेस्टर में खेले गए इस मुकाबले में कीर्ति आजाद की नीची टर्निंग बॉल पर हरफनमौला इयान बॉथम क्लीन बोल्ड हो गए थे। जिसके बाद फील्ड पर ही कप्तान कपिल देव ने उनसे पूछा था कि कीर्ति बॉल या तो लो रह सकती है या तो टर्न लेकिन दोनों कैसे? उस समय तो कीर्ति ने बात को लापरवाही से अनसुना कर दिया। मगर इस मिस्ट्री का जवाब आज भी शायद किसी के पास नहीं है। इस वाकिये को कीर्ति आजाद ने ’83’ फिल्म से जुड़े एक इवेंट पर शेयर किया था। कीर्ति आजाद ने इस वाकिये का पूरा किस्सा सुनाते हुए कहा कि, ‘मैं और जिमी (मोहिंदर अमरनाथ) बॉलिंग कर रहे थे। १२ ओवर में ५४ रन देकर हमने ४ विकेट भी निकाले थे। मुझे उसमें इयान बॉथम का विकेट मिला। बॉल बहुत लो रही और टर्न भी हुआ। क्राउड वहां भाग कर आया मेरी जेब में ५०-५० पाउंड के नोट भी डाले मेरे पास आज भी वो नोट हैं। कपिल ने मुझसे पूछा कि ये हुआ कैसा, सच बताऊं तो आज भी मेरे पास इसका जवाब नहीं है।’

परिचय…

कीर्ति आजाद यानी कीर्तिवर्धन भागवत झा आज़ाद का जन्म २ जनवरी, १९५९ को बिहार के पूर्णिया में हुआ था। कीर्ति आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र हैं। वह आक्रामक बल्लेबाजी और ऑफ स्पिन गेंदबाजी करते थे। कीर्ति वर्ष १९८३ में हुए क्रिकेट विश्वकप जितने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। श्री आजाद के परिवार में पत्‍नी पूनम और दो बच्‍चे पुत्र सूर्या और पुत्री सौम्‍या हैं।

क्रिकेट…

वे अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी रह चुके हैं और खेल गतिविधियों को प्रोत्‍साहन देने वाली संस्‍थाओं से भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने ७ टेस्ट और २५ वनडे खेले हैं। उनका वनडे पदार्पण ६ दिसम्बर, १९८० को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध हुआ था और मात्र ढाई वर्ष पुराने खिलाड़ी कीर्ति की झोली में २२ जून, १९८३ को, जिसे पाने के लिए कोई खिलाड़ी पूरा जीवन लगा देते हैं, वह विश्व कप चैंपियन का खिताब आ गिरा। इसके बाद उन्होंने अपना अंतिम एक दिवसीय मैच १८ अप्रैल, १९८६ को पाकिस्तान के खिलाफ खेला। अगर बात करें टेस्ट मैच की तो उनका टेस्ट में पदार्पण २१ फरवरी, १९८१ को न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ हुआ और उन्होंने अंतिम टेस्ट १२ नवम्बर, १९८३ को वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध खेला। इतने छोटे से अंतरराष्‍ट्रीय कैरियर के पूर्व उन्होंने १४२ प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेला।

राजनीतिक पृष्ठभूमि…

क्रिकेट से संन्यास लेने के पश्चात् कीर्ति राजनीति में सक्रिय हो गए।

वर्ष १९९३ : कीर्ति आजाद ने दिल्ली के गोल मार्केट विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बन गए। उन्होंने १९९८ तक इस पद पर रह कर सेवा की।

वर्ष १९९९ : आजाद दरभंगा से चुनाव लड़कर १३वीं लोकसभा में चुने गए। उन्होंने आरजेडी के एमडी अली अशरफ फतमी को हराया।

वर्ष २००४ : उन्होंने इस बार भी दरभंगा से चुनाव लड़ा और इस बार भी जीता।

वर्ष २००९ : श्री आजाद फिर से १५वीं लोक सभा के लिए चुने गए। बाद में ९ जून, २००९ को वह हाउस कमेटी के सदस्य बने, जहां वे १८ मई, २०१४ तक इस समिति के सदस्य रहे। २००९ में उन्हें मानव संसाधन विकास का सदस्य, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर स्थायी समिति का सदस्य, २१ अगस्त को स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया, उन्हें कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय का सदस्य, संयुक्त समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। इसके अलावा वह सदस्य, खादी और ग्रामोद्योग निगम और युवा मामलों और खेल के सलाहकार समिति के सदस्य भी बने।

वर्ष २०१४ : सितंबर २०१४ में, उन्हें ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति, संसद समिति के सदस्य, गृह मंत्रालय और संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलडीएस) के सदस्यों पर समिति के सदस्य बनाया गया। २०१४ में कीर्ति आजाद ने फिर अली अशरफ फातमी को हराया और अपनी दरभंगा सीट बरकरार रखी। बाद में ४ अगस्त, २०१४ से ३० अप्रैल, २०१६ तक उन्हें समिति के सदस्य नियुक्त किया गया।

वर्ष २०१५ : डेल्फी क्रिकेट एसोसिएशन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ आरोप लगाने के लिए भाजपा से उन्हें निलंबित कर दिया गया।

वर्ष २०१९ : १८ फरवरी, २०१९ को कीर्ति आज़ाद ने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ दिया और राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये। उन्‍होंने ट्वीट किया, “आज सुबह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी ने मुझे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कराई मैंने मिथिला की परंपरा में उनको मखाना की माला, पाग, चादर से सम्मानित किया।”

वर्ष २०२१ : कीर्ति आजाद ने नवंबर २०२१ में कांग्रेस का हाथ छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। इस बीच उन्होंने अमर उजाला के विशेष संवाददाता अमित शर्मा जी से बातचीत के दौरान अपने आजतक के राजनीतिक कैरियर के बारे में जो कहा उसका कुछ अंश…

“मैंने भाजपा क्यों छोड़ी, यह दुनिया जानती है। मैंने (दिवंगत भाजपा नेता अरूण जेटली के विरूद्ध) एक भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। मेरे पास भ्रष्टाचार के पूरे सबूत थे, लेकिन मेरे द्वारा उठाए गए मामले की जांच किए जाने की बजाय मुझे ही पार्टी से निकाल दिया गया। इसी से समझ आता है कि भाजपा का भ्रष्टाचार से लड़ाई का दावा कितना खोखला है। इसके बाद मैंने कांग्रेस ज्वाइन किया। मेरे पिता भागवत झा कांग्रेस के सबसे कम उम्र के नेताओं में थे। वे इंदिरा जी के काफी करीबी रहे। उसी कांग्रेस को याद कर मैं २०१८ में कांग्रेस में आया था। मैं तीन साल कांग्रेस में रहा। इन तीन सालों तक मैं काम मांगता रह गया, लेकिन मुझे कोई काम नहीं दिया गया। आज की राजनीति बहुत अलग है। घर में बैठकर केवल ट्वीट करने से राजनीति नहीं होती है। सड़क पर उतरकर लोगों के लिए आवाज उठानी पड़ती है। लेकिन दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने मुझे वह अवसर नहीं दिया। २०१९ के चुनाव में भी मैंने दरभंगा लोकसभा सीट की मांग की थी जो मेरी पारंपरिक सीट थी, लेकिन पार्टी ने मुझे धनबाद भेज दिया। यही कारण है कि मुझे दुखी होकर कांग्रेस छोड़ने का निर्णय करना पड़ा।”

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