December 3, 2024

रामायण एक बहुत ही सफल भारतीय टीवी श्रृंखला रही है, जिसका निर्माण, लेखन और निर्देशन श्री रामानन्द सागर जी के द्वारा किया गया था। अपने मूल प्रसारण के दौरान, रामायण अप्रत्याशित रूप से जितना लोकप्रिय था, उतने ही उसके कलाकार भी ईश्वरीय आभा लिए लोकप्रिय हुए थे। चाहे वह श्रीराम के रूप में अरुण गोविल हों अथवा माता सीता के रूप में दीपिका या भैया लक्ष्मण के रूप में सुनील लहरी या फिर महाबली हनुमान बने दारा सिंह जी ही क्यों ना हों, इनकी ख्याति इतनी थी कि दर्शक इन्हें अन्य किसी किरदार में देखना पसंद ही नहीं कर पाए। मगर आप सोच रहे होंगे कि आज हम रामायण की बात ले कर क्यूं बैठ गए, तो श्रीमान आज इन्हीं कलाकारों में से एक भैया लक्ष्मण यानी सुनील लहरी जी पर हम चर्चा करने वाले हैं…

परिचय…

श्री सुनील लहरी का जन्म ९ जनवरी, १९६१ को भारत के मध्यप्रदेश के दमोह में हुआ था। सुनील बचपन से ही शिक्षा में रुचि रखते थे। उन्हें पढ़ना-लिखना बहुत अच्छा लगता है, जिसके लिए वह निरंतर पढ़ाई के क्षेत्र में मेहनत करते रहते थे। सुनील लहरी ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा भोपाल के स्कूल से प्राप्त की थी। जब वह स्कूल पढ़ने के लिए जाते थे, तब वह स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करते थे, वहां पर छोटे-छोटे अभिनय किया करते थे। जब उन्होंने भोपाल के स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली, तब ग्रेजुएशन करने के लिए मुंबई चले गए और मुंबई के एक कॉलेज से बैचलर ऑफ़ आर्ट में पढ़ाई की।

अभिनय…

लहरी जी ने वर्ष १९८३ में फिल्मी दुनिया में अपने कॅरियर की शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म नक्सलवाद के ऊपर थी। उसके बाद उन्हें मौका मिला ‘बरसात’ फिल्म में। सुनील लहरी जब वर्ष १९८६ में अपने अभिनय को सफलता की ओर ले जाना चाहते थे, तब उनको दूरदर्शन पर काम करने का मौका मिला। दूरदर्शन के लिए वे प्ले करने लगे। ‘रामायण’ में अभिनय करने से पहले उन्होंने ‘विक्रम और बेताल’ में और फिर ‘दादा-दादी की कहानियों’ में अभिनय किया।

रामायण…

अन्य धारावाहिकों में लहरी जी का अभिनय देखकर ही रामानन्द सागर ने रामायण में लक्ष्मण के किरदार के लिए उन्हें चुना। जब वह ऑडिशन देने पहुंचे थे, तब लक्ष्मण के रोल के लिए करीब १५० लोग आए हुए थे। रामायण के लक्ष्मण के लिए वे चुन लिए गए। इस बारे में सुनील लहरी का कहना था कि, “मैं भी अरुण जी और दीपिका जी की तरह ‘विक्रम बेताल’ और ‘दादा दादी की कहानियां’ टीवी शो में काम कर चुका था। मुझे रामायण के बारे में बताया गया और कहा गया कि ऑडीशन दे दो। मैं इस शो को लेकर खास दिलचस्पी नहीं रखता था, लेकिन लोगों ने कहा तो मैंने ऑडीशन दे दिया। सीरियल रामायण में मैं शत्रुघ्न की भूमिका के लिए चुना गया था। लक्ष्मण का किरदार मुझे नहीं मिला था। लक्ष्मण के लिए शशि पुरी को फाइनल किया गया था। न जाने क्या हुआ कि शशि पुरी ने वह रोल करने से मना कर दिया। मैंने एक जगह से रोड क्रॉस किया तो सागर साहब वहां से निकले। उन्होंने गाड़ी रोकी और पूछा कि क्या कर रहा है? मैंने कहा शूटिंग चल रही है। उन्होंने मुझसे ऑफिस चलने को कहा और मैंने कहा कि शूट कर रहा हूं फिर आता हूं। मैं बाद में जाना भूल गया। उन दिनों मोबाइल फोन नहीं होते थे तो लोग लैंडलाइन चलाते थे। मेरे पास लैंडलाइन भी नहीं था तो सागर साहब ने किसी को भेज कर मुझे बुलवाया।” और फिर आगे जो हुआ वह अब एक इतिहास है।

और अंत में…

रामायण के राम, अरुण गोविल की तरह ही सुनील लहरी ने भी लक्ष्मण की छवि से बाहर निकलने की काफी कोशिश की, लेकिन अफसोस कि वह लक्ष्मण की छवि से कभी बाहर नहीं निकल पाए। भले ही ‘रामायण’ को लगभग तीन दशक से ऊपर का समय व्यतीत हो गया हो, पर सुनील लहरी जहाँ कहीं भी जाते हैं, वह आज भी लक्ष्मण के रूप में पूजे जाते हैं। सुनील लहरी का अपना प्रोडक्शन हाउस है।

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