जमाने के रंग जब जब बदले, तुम भी...
कविता
जीवन की धमनियों में बहते प्रवाह को ही कविता कहते हैं।
आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ...
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है...
अलविदा कह कर क्या चले जाते हैं लोग?...
कुछ वक्त जिन्दगी के, मैने जिंदगी से चुरा लिए।...
ये मिट्टी है, हाँ जी ये मिट्टी है।...