जमाने के रंग जब जब बदले, तुम भी यूं ही बदल गए। जवानी...
कविता
जीवन की धमनियों में बहते प्रवाह को ही कविता कहते हैं।
आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ ही बात करेंगे दबे बेज़ुबान...
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती है। उस शाम से सुबहा...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है उसकी प्रसन्नता खातिर खुद को...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है उसकी प्रसन्नता खातिर खुद को...
अलविदा कह कर क्या चले जाते हैं लोग? मैने तो जाना है की...
कुछ वक्त जिन्दगी के, मैने जिंदगी से चुरा लिए। वक्त को वक्त से जोड़कर...
ये मिट्टी है, हाँ जी ये मिट्टी है। इसकी खुशबू से खुद को...