April 26, 2024

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एक अर्ध एहसास ऐसा की
जो ना बना हों किसी से
उस एहसास की तालीम
ना मिली हो खुशी से

क्षड़िक सफलता की खुशी
उसमें मिलती है बड़ी मुद्दत से

एक दर की रीदायेतीरगी
मुतमइन हुए हैं मेरे महल से

खुद की बादशाहत मुअत्तल
ख्वाबगाहो में कहाँ
जो सिद्धत है इन घासो से

कैफ बरदोस आसमा को ना देख
कहीं कुचल ना जाए
उसके बादलों से

एक अर्ध एहसास ऐसा की
जो ना बना हो किसी से
उस एहसास की तालीम पाई
मैने खाबेकायनात से

अश्विनी राय ‘अरूण’

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