खिड़की से जब बाहर झांकता हूँ, यादे पास...
कविता
शादी वाली बात है, अजी हमारी शादी वाली...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है...
अलविदा कह कर क्या चले जाते हैं लोग?...
कुछ वक्त जिन्दगी के, मैने जिंदगी से चुरा लिए।...
चलिए एक बार फिर से चलते हैं, बचपन...
ये मिट्टी है, हाँ जी ये मिट्टी है।...
भूख तो मौत से भी बड़ी होती है,...