सोने के लिए जागना घर की अटारी पर किताबें...
कविता
आंखो से बहते स्याही को जज़्बात की कलम में...
नफरत से देखने लगे अथवा छूत मान लिए...
एक दिन मेरी गांधी से भेंट हो गई चीरपरीचीत...
आधी अधूरी आजादी हिंद सिसक सिसक कहता है, क्या...
एक पाति पत्नी के नाम तुम जब नहीं होती…...
नगाड़े बज उठे दुंदुभी भी बज पड़ी है...
जमाने के रंग जब जब बदले, तुम भी...
आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ...
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती...