Category: कविता

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जकड़न

  अपने मुंह में, तुझे धर लेगा। अजगर की तरह, जकड़ लेगा। अगर विश्वास पर, अविश्वास किया तो एक दिन समय, तुझसे जवाब लेगा। संशय मन का कर दमन वर्ना अपनों से तू दूर निकल लेगा यह दहकती आग है पानी डाल उसे बुझा औरों की...

आजादी का निर्मोही खेल

  हर बार क्यूं वो आजादी की बात करते हैं, बस पाए हुए का क्यूं वो हिसाब करते हैं। जिसने देखा था कुछ और ही सपना, उस हसरत को क्यूं यूंही बर्बाद करते हैं।। हर साल आज...

मंजरी का त्याग

  रात की अलसाई मंजरी भोर के एक चुम्बन से, सकुचाई लालिमा लिए रवि के लाली से और भी लाल हो गई। अब तो ना उसे किसी भंवरे का डर है और ना ही माली की रह गई कोई कदर है आज...

खामोशी क्या कहती है?

कान लगा, सुन तो जरा ये खामोशी क्या कहती है? कुछ उलझनों के भाव हैं, इनमें तो कुछ पछताओं के भी हैं कुछ खुशी की थिरकन है इनमें तो कुछ दुख के बोझ लिए हुए भी हैं...

हम बिहार हईं!

  हम सीता के जन्मस्थली, राम ज्ञान अपार हईं। हम महावीर के तपस्या, त बुद्ध के अवतार हईं।। आईब जा त देखब जा कईसन हम बिहार हईं। भारतेंदु के हिन्दी हम, हमहीं रेणु के सार हईं। दिनकर के कविता त, विद्यापति के...

क्या है पिता ?

अभ्युदय पत्रिका पिता विशेषांक कभी पाबंदियों का फरमान तो कभी नए नए कानूनों से भरा संविधान थे पिता स्कूलों में हमारी गलती की सजा के हकदार तो कभी हमारी तरक्की के पहचान थे पिता हर दुख में आगे तो कभी हर खुशी के...

रामायण चौपाई

मंगल भवन अमंगल हारी द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी (राम सिया राम, सिया राम जय जय राम) अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल को दूर करने वाले हैं, वो दशरथ नंदन श्रीराम जी हैं,...

जी हां ! मैं मिडिल क्लास का हूं।

  सुबह हो गई, मोर्निग वॉक नहीं, दूध लेने जाना है। कहीं देरी हो गई तो... ग्वाला पानी मिला देगा। रोड पर खड़े खड़े ही पास वाले के अखबार से वह अक्षर चुरा लेगा। घर आते ही बाथरूम में वह भागा एक...

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