December 4, 2024

 

जहां से मैं आ रहा हूं,

वहां वापस जाना नहीं चाहता!

जहां जा रहा हूं,

वहां जाना भी तो नहीं चाहता!

 

मैं राही नहीं हूं,

मगर ये रास्ते

मुझे अच्छे लगने लगे हैं।

 

क्योंकि ये कभी रुकते नहीं,

हमेशा चलते ही रहते हैं,

चलते ही रहते हैं!

 

हमारा तो ठिकाना भी है,

और हमारी मंजिल भी है।

 

मगर ये रास्ते ?

 

कहां से चले हैं,

कहां तलक जायेंगे

मालूम नहीं।

 

मगर अच्छे लगते हैं!

हां! एक बात तो है, इनमें

 

ये किसी के रोके नहीं रुकते

तो हमारे रोके कैसे रुकते।

 

ये हमसफर हैं,

किसी का साथ नहीं छोड़ते,

हम साथ दें या ना दें।।

 

मेरी मंजिल कब की

आकर निकल गई है,

मगर रास्ते अभी चल रहे हैं।

 

और मैं भी यही चाहता हूं कि

ये रास्ता कभी खत्म ना हो।

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