वासुदेव श्री कृष्ण कौन हैं?
वो क्या हैं?
और क्यूं हैं?
वो कहां हैं?
और कैसे हैं?
तुम यह ना पूछो कि वो क्या हैं।
तुम यह पूछो कि वो क्या नहीं हैं।
तुम यह जानों
तुम हो तो वो हैं,
तुम नहीं तो भी वो हैं।
जहां तक यह सृष्टि है
उसके पार भी वह हैं
जहां तक तुम्हारी सोच बहती है
उसके उस पार भी वो हैं।
तुम यह जान लो
तुम यह मान लो
अपने अंतःकरण में बिठा लो कि
वासुदेव श्री कृष्ण सम्पूर्ण सत्य हैं।
श्रीकृष्ण परब्रह्म हैं,
वे चेतना हैं, परमात्मा हैं,
वे ही ईश्वर,
परमेश्वर, विश्वआत्मा हैं
मुरलीधर, चक्रधारी
श्रीकृष्ण पूर्णावतारी हैं।
अंगकांति श्याम सलोना
नित्य तरुण पीताम्बरधारी हैं।
शंख, चक्र, गदा और पद्मधारी
मनोहारी मुख चार भुजाधारी हैं
चंद्र प्रभा से मुरली मनोहर
शारंगधनुष व कैस्तुभ मणिधारी हैं
मुरलीधर मुरली मनोहर
श्यामसुंदर मयूर पंखधारी हैं
ज्ञानेश्वर सर्वेश्वर परमेश्वर
आनन्दायक वो कृष्ण मुरारी हैं
वो ही सर्वजन, वही कमलनयन
वही सनातन, वही निरंजन
वो मनमोहन, वो रविलोचन
वो देवकीनंदन सुदर्शनधारी हैं
वही सत्यवचन, वही परब्रह्मन
वो निर्गुण मदन कंजलोचन
वही मोहन मधुसूदन जनार्धन
वो कृष्ण ही नारायन त्रिपुरारी हैं
योगिनाम्पति स्वर्गपति प्रजापति
वो अनंता पद्महस्ता विश्वमूर्ति
वही अनंतजीत वो ही सहस्रजीत
श्रीकांत लक्ष्मीकांत वो अपराजित हैं
सत्यव्त सहस्रपात अच्युत वो
द्वारकाधीश देवेश ऋषिकेश वो
अजया अनया अदित्या वो
ज्योतिरादित्या गोपालप्रिया भी वो
वही जगदीश वही सहस्राकाश हैं
वही परम पुरुष वही वेद व्यास हैं
वही जगन्नाथ कमलनाथ वैकुंठनाथ वही
साक्षी धर्माध्यक्ष लोकाध्यक्ष वही
वही आदिदेव वही देवाधिदेव
वो वासुदेव केशव माधव हैं
वही बालगोपाल वही नंदगोपाल
वो जगद्गुरु अचला वृषपर्वधारी हैं
वही पुरुषोत्तम वही सुरेशम
वो अजन्मा परमात्मा है
वही श्याम वही विश्वकर्मा
वो त्रिविक्रमा, विश्वात्मा है
अनिरुद्धा गोविंदा अव्युक्ता वही
वही बलि, मुरली भी है
चतुर्भुज दानवेंद्रो दयालु वही
वही दयानिधि विश्वरूपधारी हैं