सोने के लिए जागना घर की अटारी पर किताबें...
कविता
जीवन की धमनियों में बहते प्रवाह को ही कविता कहते हैं।
आंखो से बहते स्याही को जज़्बात की कलम में...
एक दिन मेरी गांधी से भेंट हो गई चीरपरीचीत...
नगाड़े बज उठे दुंदुभी भी बज पड़ी है...
जमाने के रंग जब जब बदले, तुम भी...
आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ...
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती...