काशी अपने घाटों के साथ ही साथ मंदिरों के लिए भी विख्यात है। पुराणों मे स्पष्ट है कि काशी क्षेत्र में पग-पग पर तीर्थ है। स्कन्दपुराण काशी-खण्ड के केवल दशवें अध्याय में चौसठ शिवलिङ्गो का उल्लेख है। हेन सांग ने यात्रा पुस्तिका में उल्लेख किया है कि जिस समय वह वाराणसी में था, उस समय लगभग १०० से ज्यादा मंदिर थे और उनमें से एक भी सौ फीट से कम ऊँचा नहीं था।
मंदिरों पर आक्रमण…
सन् ११९४ ई. में कुतुबद्दीन ऐबक ने काशी के एक सहस्र मंदिरों को नष्ट कर दिया। अलाउद्दीन खिलजी ने भी लगभग एक हजार मंदिरों को नष्ट कर दिया। नष्ट होने वाले मंदिरों में प्राचीन काशी विश्वनाथ जी का मंदिर भी था। वर्ष १५८५ में अकबर के राजस्व मन्त्री राजा टोडरमल की सहायता से श्री नारायण भट्ट ने विश्वनाथ जी के मंदिर का पुनः निर्माण करवाया, परंतु कालांतर में अकबर का ही वंशज औरंगजेब ने काशी के प्राचीन मंदिरों के ऊपर तो कहीं तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया। इसका नतीजा यह रहा कि उसके शासन काल में बीस मंदिरों की गिनती कर पाना भी मुश्किल था।
पुनः निर्माण…
मराठा साम्राज्य का विकास काशी के मंदिरों के लिए स्वर्ण युग के समान था। उसके राजाओं तथा सरदारों ने अनेकों मंदिरों का निर्माण और पुनः निर्माण करवाया। अंग्रेज़ी शासन में भी बहुत से मंदिरों का निर्माण हुआ। वर्ष १८२८ में जब अंग्रजों के द्वारा मंदिरों की पुनः गणना कराई गई, तब पता चला कि काशी में उस समय एक हजार मंदिर विद्यमान थे। उसके बाद शेकिंरग ने लिखा है कि उसके समय में चौदह सौ पंचावन मंदिर थे। हैवेल का कथन है कि उसकी गणना के अनुसार उस समय लगभग ३५०० मंदिर थे।
विश्वनाथ जी के जिस मंदिर को औरंगजेब ने नष्ट किया था, उसके समीप ही १८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में महारानी अहल्याबाई होलकर ने वर्तमान विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। विश्वनाथ मंदिर से दो मील की दूरी पर भैरोनाथ का मंदिर है, उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। उनके हाथ में बड़ी एवं मोटे पत्थर की लाठी होने के कारण इन्हें दण्डपाणि भी कहा जाता है। उनका वाहन कुत्ता है। काशी खण्ड में छप्पन विनायक मंदिर वर्णित है। काशी क्षेत्र में चौदह महालिंग प्रसिद्ध है।
आज के समय…
सरकारी आंकड़ों को अनुसार काशी में इस समय लगभग १,५०० मंदिर हैं। वर्तमान विश्वनाथ मंदिर अधिक प्राचीन नहीं है। इसके शिखर पर महाराजा रणजीत सिंह ने सोने के पत्तर चढ़वा दिए थे। संकटमोचन मंदिर की स्थापना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। दुर्गा के मंदिर को १७वीं शती में मराठों ने बनवाया था। घाटों के तट पर भी अनेक मंदिर बने हुए हैं। इनमें सबसे प्राचीन गहड़वालों का बनवाया राजघाट का ‘आदिकेशव’ मंदिर है।
प्रमुख मंदिर…
३. संकठा मन्दिर
१०. भारत माता मन्दिर
११. केदारेश्वर मंदिर
१३. विशालाक्षी मंदिर
१५. चण्डीदेवी मन्दिर
१९. रत्नेश्वर महादेव
२०. श्री सनातन विश्व दर्शन मंदिर
२१. त्रिदेव मंदिर
२४. सीता मंदिर
२६. विंध्याचल मंदिर
२७. कर्दमेश्वर मंदिर
२८. गुरुधाम मंदिर
२९. रविदास मंदिर
३०. बालाजी मंदिर
३१. रूरू भैरव मंदिर
३२. रामेश्वर मंदिर
३३. सारनाथ
काशी के प्राचीनता के कुछ प्रमाण